About Me

New Delhi, DELHI, India
अपने बारे में क्या कहूँ, एक अनसुलझी पहेली सी हूँ.कभी भीड़ में अकेलापन महसूस करती हूँ! तो कभी तन्हाइयों में भरी महफिल महसूस करती हूँ! कभी रोते रोते हँसती हूँ, तो कभी हंसते हंसते रो पडती हूँ. मैं खुश होती हूँ तो लगता है,सारी दुनिया खुश है,और जब दुखी होती हूँ तो सारी कायनात रोती दिखती है! क्या हूँ मैं, नहीं जानती,बस ऐसी ही हूँ मैं, एक भूलभुलैया.......

Monday, August 29, 2011

माँ



श्री कृष्ण जन्माष्टमी उसको मेरे अंदर से आना था ,पर वह मुझे ये खुशी न दे सका ,,
                     मैं भगवन के आगे हाथ फेलाये रही 
                                              पर उसने मुझे खाली हाथ  छोड़ दिया,
                       मै ऊपर  झोली  फेलाये ताकती रही ,          
                   लेकिन ,
                            मेरी सूनी  गोद में, उसने ,मेरे आंसुओं  के अलावा कुछ  न दिया ,
   मेरी गोद  सुकडती गई
                        मेरा चेहरा मुझे चिडाने  लगा ,तभी,
एक  दिन एक  बालक  आया ,और सबके  बीच बोला  
                 ये ही तो मेरी माँ ,है .
इसने  मुझे अपने आंसू के रूप में 
          नो  महीने नहीं बरसों तक मुझे पाला  है. 
इसके आगे  कोई कुछ नहीं देख पाया 
देखा तो सिर्फ देवताओं ने ,
                देवी विंध्यवासिनी ने ,अपनी बूडी काया को  
चोले  की तरह उतर फेंका ,
        और पहन  लिया  अपना  युवाओं वाला  वस्त्र 
 जिसमे अब कृष्ण  अपनी छोटी -छोटी उँगलियाँ घुमा रहे हैं. 
                 वो अपनी छोटी छोटी  हथेलियों से माँ का चेहरा पकड़ 
     चूम  रहे हैं.
उस सुनी गोद में अब ,आंसुओं का गीलापन नहीं 
       उसके कृष्णा  की सू सू है...............


                  जन्माष्टमी की एक शाम.     २००८ 

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