About Me

New Delhi, DELHI, India
अपने बारे में क्या कहूँ, एक अनसुलझी पहेली सी हूँ.कभी भीड़ में अकेलापन महसूस करती हूँ! तो कभी तन्हाइयों में भरी महफिल महसूस करती हूँ! कभी रोते रोते हँसती हूँ, तो कभी हंसते हंसते रो पडती हूँ. मैं खुश होती हूँ तो लगता है,सारी दुनिया खुश है,और जब दुखी होती हूँ तो सारी कायनात रोती दिखती है! क्या हूँ मैं, नहीं जानती,बस ऐसी ही हूँ मैं, एक भूलभुलैया.......

Tuesday, December 10, 2013

तुम मुझको पाना चाहते हो 

Misty Goswami's photo.
    
मुझे पाने के लिए ,तुम्हे खुद को खोना होगा ………… 
       5 nov............
बड़ी हसरत है पूरा एक दिन 
                   इक बार
 मैं अपने लिए रख लूं,
 तुम्हारे साथ पूरा एक दिन 
                       बस खर्च करने की तमन्ना है !!

दिखावा

मुझे पता ही नही चला 
           कि कब मेरे सपने
मेरी ख्वाहिशें 
           मेरे सारे सपने 
मुझसे कोसो दूर चले गए,Photo
               रह गया तो सिर्फ 
मेरे चेहरे पर मुखौटा 
          और अंदर क़सक भरी हंसी 
जो बोल रही थी 
              कि अब तो दुनिया के सामने अपना असली 
चेहरा  दिखा 
           रो ले जी भर कर……………
               १०/१२/१३…………।  

डर

इतना  तोड़ दिया है जिंदगी ने 
 
           कि अब अपना ही सामना करने से 
 डर  लगता है……………। 
                                                    9/12/13.........

चाँद

चलो आज आसमान बाँट लें
           आधा त्तुम्हारा आधा मेरा 
 तो कोई लड़ाई नही,
         पर तुम्हे पूरा आसमां चाहिए था,
मेने तुम्हारी ख़ुशी के लिए दे दिया 
    फिर तुम्हे टूटता तारा दिखा, 
तो तुमने सारे तारे ले लिए,
        सिर्फ इसलिए कि टूटते तारे 
शायद कोई विश पूरी कर दें 
          वो तुम नही चाहते थे 
कि मेरी कोई विश  पूरी हो 
         और मैं कहीं तुम्हे छोड़ ना दूँ 
आज मेरेहिस्से चाँद आया है 
            तुम्हे वो भी चाहिए,
पर नही,आज ये चाँद  तुम्हे नही दूंगी 
                 क्यों इतने सारे सितारों में 
तुम्हे सिर्फ चाँद ही चाहिए 
                पर नही ,अब नही। ………। 
                                     6 /12/13..........

Monday, September 23, 2013

हम

वो  जा रहा था,और मै  उसे देख रही थी 
               धडकने संभल नही रही थी, 
लगता था अभी बहार निकल कर चीत्कार उठेंगी
                  पलके झपकना भूल गई थी 
आंसू की दो बूंदों  ने 
        आँखों  को इतना भारी कर दिया था 
कि वो बंद भी नही हो पा  रही थी 
         आज लग रहा था कि  क्यूँ 
मैंने उसे अपने दिल की बात नही बताई  
              क्यों उसके बोलने का इंतजार करती रही 
सोचती रही कि  एक दिन वो सब समझ जायेगा 
                     और बोल देगा वो,                                 
जिसको मैं सालों से सुनना  चाहती थी ,,
                लेकिन वो बिन बोले जा रहा था 
मुझे मालूम था कि  वो मेरी तरफ देख रहा था 
         और मै जड़वत  
                तभी एकदम से मुझे सिहरन सी महसूस हुई 
Photo: #Zahid
अब मै  समझ चुकी थी
              की अब कुछ बोलने की जरुरत नही ,
अब मै और वो नही ……हम हैं……………23/9/13...........

         

Monday, September 16, 2013

मेरी याद


कभी तो तुम भी उलट पलट करोगे अपनी जिन्दगी की किताब को 

तब कहीं ना कहीं,किसी कोने में ही ,वर्ना आखिरी पन्ने पर ही

मेरा कहीं तो जिक्र किया होगा 

            तब मेरी याद तो आएगी ना  

एक बार ही सही। ………. 16/9/13..........

Friday, August 30, 2013


तेरे नाम

लो बना लिया मेने अपने को 

तेरी आँख का आंसू,,

अब तुम जब चाहो,
 
मुझे रोकर गिरा
 
देना……31 aug.......

Thursday, August 29, 2013

आँसू

अब तो मेरा रोम रोम 
               आंसुओं में डूब चूका है ……. 
जब आंसू इतने दिए तो कांधे कम क्यूँ 
                        अब शर्त लगी है 
मेरे और तेरे बीच में मेरे मौला 
                या तो आंसू रोक 
या मैं  आई तेरे पास 
                 कब तक नही बुलाओगे,
मैं  भी देखती हूँ 
          अब ये शर्त मैं ही जीतूंगी ……
तुझे बुलाना ही होगा मुझे अपने पास 
                         और मैं भिगोउंगी तेरा दामन 
अपने आंसुओं से……… 
         29 /8 /13..........

ना जाओ...

अब ख़्वाब  भी इजाजत मांगते हैं 
                                    मुझसे 
क्योंकि हकीकत उन्हें रोज़ 
                    बेरहमी से कुचल रही है 
क्या कहूँ मैं ,,
           अपने ख्वाबों से 
कि  तुम्हारे सहारे  ही तो तो मैं जिंदा हूँ 
पर तुम्हे यूँ पल पल 
                   मरता भी तो नही देख सकती ना जाओ
जाओ मेरे ख्वाबों 
           अब तुम भी मुझे छोड़ के चले जाओ 
अब ख़्वाब  भी इजाजत मांगते हैं। ………. 28 aug.........

Saturday, August 24, 2013

एक बार तो आ जाओ

एक बार तो आ जाओ 
अब तो आसूं भी हथेली को सुलगाने लगे
तुम  इन आसुओं पर पहरा लगाने आ जाओ 
मैं खुश हूँ बहुत ये बात मुझे अपने को न समझानी पड़े
अब तो आ जाओ की ये बात भी सच लगने लगे
मुझे मेरे ख्वाबों से निकलने के लिए
एक बार तो हकीकत बन के आ जाओ 
कुछ यादें इतनी प्यारी होती हैं
        कि
उनके साथ जिन्दगी भी बिता सकती हूँ
लेकिन उन यादों को जिलाने के लिए तो आ जाओ
अब तो आ जाओ की सांसे भी मेरी थमने चली
इससे पहले की ये टूट जाएँ आ जाओ
लो चली मैं इस दुनिया से खफ़ा होकर
चाँद तारे मेरी मांग में भरने के लिए आ जाओ 
आखिर और कब तक अपने से ही बात करूँ
आखिर कब तक तन्हाई से लड़ाई करूँ  
लो चली अब तो विदा करने के लिए आ जाओ
अब तुम्हे कोई नही,कोई नही पुकारेगा
इसी ख़ुशी में तो एक बार आ जाओ। ……………………….

Friday, August 23, 2013

मेरी माँ

माँ ,तुम क्यों इतना याद आती हो 
                           वो तुम्हारा बाहें फैलाकर अपनी गोद में मुझे समेट  लेना 
मुझे तुमसे दूर होने पर रुलाता है माँ,,
                                       वो तुम्हारा भीगी पलकों से मुझे निहारना 
मुझे रुलाता है माँ,,
                    मुझे क्यों बड़ा होने दिया,फिर मुझे अपनी छोटी सी परी बना  लो माँ 
ये जिन्दगी  ये हकीकत मुझे बहुत रुलाती है माँ 
                                                  मुझे मेरे हालात न जीने देते हैं 
ना मरने देते हैं। 
                  मुझे फिर से अपनी गोद में सिमटा लो माँ,
 छुपा लो मुझे इस ज़ालिम दुनिया से  ,,
                                    अब और बर्दास्त नही होता 
अपनी गुडिया को छुपा लो माँ।
                          फिर से अपनी नन्ही परी बनाकर
मेरी बची हुई खुशियाँ बचा लो 
                                मुझे फिर से अपना बचपन दे दो माँ 
मुझे ना अपने से अलग करो माँ 
                    मुझे बड़ा ना होने दो …………….   21/8/13............


                                              

Monday, August 12, 2013

तेरा साथ

जब भी मैं तनहा होती हूँ
                             मेरा एकाकीपन मुझे  बहुत तकलीफ देता है 
मैं डर  जाती हूँ,तुम्हे पुकारना चाहती हूँ 
                        कोई अंजाना भय मेरी आवाज़ बंद कर  देता है 
मुझे कोई नजर नही आता 
                       और भय के कारण  जब मैं जाग जाती हूँ 
तो देखती हूँ,सभी तो मेरे साथ हैं  
                       मैं किसी छोटे बच्चे की तरह   
तुम्हारी बाँहों में सिमट जाती हूँ 
                                       और तुम भी 
मुझे नन्हे बच्चे की तरह से 
                          अपने में सिमटा लेते हो,
तब मैं बहुत  गर्वित महसूस करती हूँ 
                                      तुम्हे निहारती रहती हूँ,घंटों 
और फिर मीठे -२ सपनो में खो जाती हूँ 
                             वो पल मुझे सारे गम भुला देते है। ………… AUG 13...........



सच

मेरी ख़ुशी कब 
             बर्दास्त कर पाओगे,
बोलो ना एक सच……………. 
                                       aug  13 ………… सच 

Sunday, August 11, 2013

रिश्ता

मैं क्या हूँ  तुम्हारी 
                     कभी समझ ही नही पाती 
तुम ही समझा दो 
                  कि  तुम मेरे क्या हो 
कब तक  ऐसे  जियूं 
                     इसी उहापोह  में मेरी आधी उम्र बीत  गई 
पर  समझ न  पाई 
                  कि  कौन हूँ मैं तुम्हारी 
और तुम मेरे 
             हाँ दुनिया की नजरों  में 
है एक रिश्ता 
       मेरा तुम्हारा 
पर सच में क्या रिश्ता है 
               मेरा  तुम्हारा 
कभी लगता है, मैं और तुम 
                         और कोई नही इस जहाँ में 
सबसे बड़ा और गहरा रिश्ता  हमारा 
          और कभी लगता है 
मुझे  छोडकर तुम सब  हो 
                             बस  मैं ही नही हूँ कोई तुम्हारी 
सिर्फ एक शून्य हूँ,
              जिसको जब मन चाहे 
किसी के भी पीछे लगा दो
                 क्यूंकि आगे मेरा कोई अस्तित्व ही नही है ...................AUG 13.

चित्कार

इक आह जो बरसो से मेरे अन्दर चीत्कार कर रही है,
                       सोचती हूँ जब वो बहार निकलेगी तो क्या होगा,,
मेरी बरसो की ओड़ी हुई मुस्कान
                               वो सबको भगा  ले जाएगी अपने साथ
इतने सालों  जो मै उधार की हंसी हंसकर
                        ना सिर्फ दूसरों को बनाती रही
वरन खुद को भी ठगती रही                      
                      उसका क्या होगा
सब धूल धूसरित हो जाएगा
                          मैं ठगनी खुद ही ठगी रह जाउंगी,,,,,,,,
पर अब नही जी पाऊँगी,
Photo: by Vimal Chandran 
                     
                            मेरा रोम रोम चीत्कार रहा है
अब वो मुझ ठगिया से
                   उकता रहा है
मेरा रोम रोम चित्कार रहा है

                       11 AUG..................         

Saturday, August 10, 2013

एक बार फि..र

 फिर से,
                     उम्मीद मेरा मुंह तकती रही 
और मैने  उसे फिर से 
                 ना  उम्मीद होते देखा  
उम्मीद  को नाउम्मीद होते देखा 
                              एक बार फिर ……… 5 aug...............र 
                

विश्वास की हत्या

जहाँ  तुम मेरे  विश्वास  की 
                  हत्या कर  रहे थे 
वहां मै  तुम्हे सोचकर मुस्कुरा रही थी 
             मेरा विश्वास तुमने इतने हल्के से तोड़ा 
कि  कोई आहट  तक ना हुई,,
            मुझे एक हिचकी तक ना आई                
 पर एक बात बोलूं ,

विश्वास  तोड़ने में जितने पल नही लगते 
              विश्वास  जमाने में उससे कहीं ज्यादा 
बरस लग जाते हैं …
                           मैं तुमसे आज भी उसी तरह बोलती हूँ 
तुम्हे हल्का सा भी महसूस  नही होने देती,
लेकिन 
        कहीं जो मेरे भीतर टुकड़े हुए हैं 
वो चुभन मुझे हर बार महसूस होती है      
                                  जब जब  तुम याद आते हो,,
क्या कभी जगा पाओगे वही विश्वास ……………………… जून  9.............13................
             

Saturday, May 11, 2013























































































































































































































































































































































































































































































































  •  

यादें

ना ,नही दोस्त 
          मुझे गले से न लगाना 
मैं रो पडूँगी 
            बहुत भरी पड़ी हूँ 
जरा सा तेरा प्यार पाकर 
           मै रो पडूँगी
पहले जब मैं उसकी याद करती थी तो
               दिलं गुदगुदा जाता था 
लेकिन आज 
           आज उसकी बाते 
रुला जाती है 
         उसकी सारी  वो बाते याद आ रही हैं 
जो कभी सपने में भी नही सोच पाती 
                               इसलिए मुझे गले ना लगाओ दोस्त 
मैं रो पडूँगी ...............अप्रैल 15\4\13...............
यादें 

Monday, March 4, 2013

कहाँ हो तुम

तुम कहाँ हो 
      तुम्हारे बगैर तो मेरा घर ही विरान हो गया है,,
मेरी खनकती हुई हंसी 
                   उदास हो गई है 
मेरी सूर्य सी चमकती सिंदूरी बिंदिया 
                भी फीकी पड़  गई है  
फ़ूल  पत्ते  ,चाँद  सूरज सब  
           सब मुरझा गए हैं ,मौन हो गए हैं 
एक अकेलापन छा  गया है मुझ में,
                तुझे देखने की 
झूठी उम्मीद बंधाती  हूँ 
                  तेरे मनाने की आदत 
तेरा मुझे अंदर ही अंदर चाहना 
              मेरे दिल के वीराने  में 
हलचल(हाहाकार) मचाए  है 
             तेरे बगैर अधूरा सा  महसूस कर रही हूँ खुद को 
अब आजा,और मुझे पूर्ण कर जा ................

        

Thursday, February 28, 2013

साया

वो किसका साया है जो
                 मुझे बिन छुए भी छूकर निकल जाता है… 
एक आवाज़ जो मैंने कभी सुनी ही नही 
                     उसी आवाज़ से मैं बातें करती हूँ 
वो कौन है जो मुझे अपने अकेलेपन का
                             एहसास कराना  चाहता है,,
मुझसे अपना एकाकीपन बाँटना चाहता है 
                                कभी ख्वाब में,,तो कभी हकीकत में  
                अपने वजूद में मुझे शामिल करना चाहता है,,
मुझे एक सूनापन दे जाता है 
                मैं उससे मिलना चाहती हूँ,
उसे छूना चाहती हूँ 
                             उसे अपने शब्दों में पिरोना चाहती हूँ 
अपनी सूनी  अंखियों में उसे उतारना  चाहती हूँ 
                                       तन्हाई में उसकी आहट  सुनती हूँ 
उसके ना होते हुए भी उसे देखती हूँ 
                           बुत बन जाती हूँ 
उसकी बाँहों में झूल जाती हूँ 
                और होश आने पर 
तन्हा होती हूँ ,,
               

Monday, February 18, 2013

झूठा आईना

बचपन से सुनती आई हूँ कि 
                 आईना  झूठ  नही बोलता 
लेकिन मेरा आईना झूठ बोलता है 
               वो वही  बोलता है,
वही  दिखता है 
                 जो मैं उससे चाहती  हूँ 
मेरा आइना झूठा है ..............
       16 feb..........13.................

Thursday, February 14, 2013

नाम

क्या नाम  रखूं तुम्हारा 
           क्यों ?
बिना नाम नही पहचानोगी मुझे 
                         हाँ क्यों नही,
क्यों नही पहचानूंगी 
            तुम तो ख्वाब हो मेरे 
हकीकत थोड़े ही हो ,
                       जो रूप बदल -2 कर आओगे 
मुझे तड़पाने  को,
                   फिर तुम मुझे बिन नाम ही रहने दो ,,
नाम दोगी  तो 
                            हकीकत में पाने के लिए 
आवाज़ लगाओगी ......................14 feb........13...............

                              

कब आओगे

सूर्य के आने के बाद 
                   चले जाते हो आप 
चाँद आकर  खिड़की से 
                   मेरा उदास चेहरा देखकर  
उदास हो जाता है 
                 और जब मैं बालकनी में 
झांकती हूँ उम्मीद से 
                     तो    पूछता है मुझसे 
 वो कब आएँगे ?
                  मेरे पास कोई जवाब नही है 
न चाँद के सवाल का,
           न मेरे इंतजार  का 
जो टकटकी लगाए निहारती है 
                     की शायद अब आप आओ ..................
feb 13........