About Me

New Delhi, DELHI, India
अपने बारे में क्या कहूँ, एक अनसुलझी पहेली सी हूँ.कभी भीड़ में अकेलापन महसूस करती हूँ! तो कभी तन्हाइयों में भरी महफिल महसूस करती हूँ! कभी रोते रोते हँसती हूँ, तो कभी हंसते हंसते रो पडती हूँ. मैं खुश होती हूँ तो लगता है,सारी दुनिया खुश है,और जब दुखी होती हूँ तो सारी कायनात रोती दिखती है! क्या हूँ मैं, नहीं जानती,बस ऐसी ही हूँ मैं, एक भूलभुलैया.......

Monday, September 12, 2011

रेत का महल

रेत पर अगर महल बनाओगी 
     तो उसे हवा नहीं तो 
कोई अपना 
      जिसे आप अपना सर्वस्व न्योछावर करती हो 
जिसे आप अपने सबसे निकट मानती हो 
      वही 
एक फूंक मारकर तुम्हारी जिंदगी का 
    रेतीला महल ढहा देगा,
तुम्हारे सामने तुम्हारा सब कुछ 
       उड़ जायेगा,हवा में 
और रह जायेगा 
   सपाट रेतीली जमीन 
और उस पर खड़ा हंसता हुआ 
   तुम्हारा प्रिय......


               26/9/10

2 comments:

  1. Bahut badiya!!! Par tumne kabhi socha hai Hawa ki mahal mei bhi log sapne sajaate hai, par woh toot te nahi.... bas ek meethi si chubhan de jaati hai !

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  2. शुक्रिया बब्बल,मेरी सोच में अपनी विचार मिलाकर एक नया दोस्त आपके अपने रूप में देने का....

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