गली के खात्मे पर
दो रास्ते बंटते हुए
बंटते हुए रास्ते में
दो हाथ मिल रहे थे
खुशनुमां मौसम मेहरबां हुआ पड़ा था
आज तो आसमां भी मेरा
सिरमौर बन रहा था
बस प्रेम ही टपक रहा था
बारिश नहीं थी ये
चंदा भी खिल उठा था
तारे भी मिल चुके थे
वो समा मेरे अतीत का था
अतीत में हम दोनों चल रहे थे,
इक राह के दौराहे पर
दो मीत मिल रहे थे....
दो रास्ते बंटते हुए
बंटते हुए रास्ते में
दो हाथ मिल रहे थे
खुशनुमां मौसम मेहरबां हुआ पड़ा था
आज तो आसमां भी मेरा
सिरमौर बन रहा था
बस प्रेम ही टपक रहा था
बारिश नहीं थी ये
चंदा भी खिल उठा था
तारे भी मिल चुके थे
वो समा मेरे अतीत का था
अतीत में हम दोनों चल रहे थे,
इक राह के दौराहे पर
दो मीत मिल रहे थे....
No comments:
Post a Comment