About Me

New Delhi, DELHI, India
अपने बारे में क्या कहूँ, एक अनसुलझी पहेली सी हूँ.कभी भीड़ में अकेलापन महसूस करती हूँ! तो कभी तन्हाइयों में भरी महफिल महसूस करती हूँ! कभी रोते रोते हँसती हूँ, तो कभी हंसते हंसते रो पडती हूँ. मैं खुश होती हूँ तो लगता है,सारी दुनिया खुश है,और जब दुखी होती हूँ तो सारी कायनात रोती दिखती है! क्या हूँ मैं, नहीं जानती,बस ऐसी ही हूँ मैं, एक भूलभुलैया.......

Thursday, September 8, 2011

जिंदगी

एक एक मोती पिरो रही हूँ 
           माला में,
कोई जो पूछे तो बता देती हूँ कि
         अपनी जिंदगी समेट रही हूँ 
बहुत सालों का बिखराव है,
        जल्द ही खत्म होने वाला है.
इस बिखराव को समेट लूँ तो चलूँ
          बस एक ही गुजारिश है 
मैं  जब भी  अफसाना बन जाऊं तो 
       तुम मेरा अफसाना 
मेरी जिंदगी की तरह 
    बिखरा बिखरा के ना सुनाना 
सारा बिखरा जीवन एक माला में 
पिरो रही हूँ,तुम सबको ये ही सुनाना  
       कतरा कतरा बिखरा जीवन नहीं .......

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