About Me

New Delhi, DELHI, India
अपने बारे में क्या कहूँ, एक अनसुलझी पहेली सी हूँ.कभी भीड़ में अकेलापन महसूस करती हूँ! तो कभी तन्हाइयों में भरी महफिल महसूस करती हूँ! कभी रोते रोते हँसती हूँ, तो कभी हंसते हंसते रो पडती हूँ. मैं खुश होती हूँ तो लगता है,सारी दुनिया खुश है,और जब दुखी होती हूँ तो सारी कायनात रोती दिखती है! क्या हूँ मैं, नहीं जानती,बस ऐसी ही हूँ मैं, एक भूलभुलैया.......

Thursday, September 22, 2011

मेरा अपना

जब अपना घर नही होता,तब
      तब,कोई दूसरा घर नजर नही आता
दो पल बिताने को,
          कोई अपना नजर नही आता
कोई राह नजर नही आती
        कोई दिशा मेरा मार्ग दर्शन नही करती
आँखे भी अँधेरे के सिवा कुछ नही दिखाती
      एक आँसू मेरा साथ कभी नही छोड़ते
इतने आंसुओं को विदा करके भी
        आँखों में नमी हमेशा रहती है,
कहाँ जाऊँ,किस राह जाऊँ
   नही समझ पा रही
सिवाय सूने आसमा के
        कुछ नजर नही आता,
बार बार मरने से क्या एक बार मरना
    सही नही है,भगवन..फिर क्यों ......

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