आज मैंने अपने आइने के
टुकड़े टुकड़े कर दिए
मैंने उसे तोड़ दिया,
टूट के बिखर जाने दिया.
फिर उसमे घंटों खड़े रहकर
खुद को देखा,देखती रही,
फिर कहा
अब सही है,यही सच्चाई है,
जब मैं टूट के बिखर चुकी हूँ,
तो मुझे ये आईना मेरी सही
तस्वीर क्यों नही दिखाता;
अब ये आईना झूठा नही है,
क्योंकि अब मैं इसमें
कई हिस्सों में बंटी,
टुकड़ों में दिखलाई पडती हूँ.
ये आईना अपने मायने जान चुका है.......
टुकड़े टुकड़े कर दिए
मैंने उसे तोड़ दिया,
टूट के बिखर जाने दिया.
फिर उसमे घंटों खड़े रहकर
खुद को देखा,देखती रही,
फिर कहा
अब सही है,यही सच्चाई है,
जब मैं टूट के बिखर चुकी हूँ,
तो मुझे ये आईना मेरी सही
तस्वीर क्यों नही दिखाता;
अब ये आईना झूठा नही है,
क्योंकि अब मैं इसमें
कई हिस्सों में बंटी,
टुकड़ों में दिखलाई पडती हूँ.
ये आईना अपने मायने जान चुका है.......
Your compositions are all intriguing!
ReplyDeleteDeep, mysterious and touching!!!
Kahi kuch ... mere jasbato se milti julti... par phir bhi ummeed hai yeh udaasi ke pare bhi kuch aur likhogi
Aina tootke bikhar gaya...
Usme kai tukro mein apni chabi dekhi
kya woh pratichchavi alag alag ho gayi
ya usi chavi kai gunah aur darshata hai
Sacchai kaise badal jayegi
Tukro mein dikhai padti ho
par poori ho....
Bikharke bhi tumhari chavi tooti nahi
Aur Aina jhoot nahi bolti
आपने बहुत अच्छा लिखा है,लेकिन आईना वही दिखाता है,जैसा चेहरा मैं
ReplyDeleteउसे दिखाती हूँ,अगर मैं रो रही हूँ और आइने में हंस कर देखूं तो वो मेरा हंसता चेहरा ही दिखाता है,इसलिए जब मैं ही टूट गई तो आईना भी मुझे टुकड़ों में बंटा हुआ दिखाए.बस यही कहना चाहती थी....