About Me

New Delhi, DELHI, India
अपने बारे में क्या कहूँ, एक अनसुलझी पहेली सी हूँ.कभी भीड़ में अकेलापन महसूस करती हूँ! तो कभी तन्हाइयों में भरी महफिल महसूस करती हूँ! कभी रोते रोते हँसती हूँ, तो कभी हंसते हंसते रो पडती हूँ. मैं खुश होती हूँ तो लगता है,सारी दुनिया खुश है,और जब दुखी होती हूँ तो सारी कायनात रोती दिखती है! क्या हूँ मैं, नहीं जानती,बस ऐसी ही हूँ मैं, एक भूलभुलैया.......

Saturday, September 24, 2011

टूटा आईना

आज मैंने अपने आइने के
           टुकड़े टुकड़े कर दिए
मैंने उसे तोड़ दिया,
     टूट के बिखर जाने दिया.
फिर उसमे घंटों खड़े रहकर
 खुद को देखा,देखती रही,
फिर कहा 
          अब सही है,यही सच्चाई है,
जब मैं टूट के बिखर चुकी हूँ,
    तो मुझे ये आईना मेरी सही
तस्वीर क्यों नही दिखाता;
       अब ये आईना झूठा नही है,
क्योंकि अब मैं इसमें
      कई हिस्सों में बंटी,
टुकड़ों में दिखलाई पडती हूँ.
     ये आईना अपने मायने जान चुका है.......
                                 

2 comments:

  1. Your compositions are all intriguing!
    Deep, mysterious and touching!!!

    Kahi kuch ... mere jasbato se milti julti... par phir bhi ummeed hai yeh udaasi ke pare bhi kuch aur likhogi

    Aina tootke bikhar gaya...
    Usme kai tukro mein apni chabi dekhi
    kya woh pratichchavi alag alag ho gayi
    ya usi chavi kai gunah aur darshata hai
    Sacchai kaise badal jayegi
    Tukro mein dikhai padti ho
    par poori ho....
    Bikharke bhi tumhari chavi tooti nahi
    Aur Aina jhoot nahi bolti

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  2. आपने बहुत अच्छा लिखा है,लेकिन आईना वही दिखाता है,जैसा चेहरा मैं
    उसे दिखाती हूँ,अगर मैं रो रही हूँ और आइने में हंस कर देखूं तो वो मेरा हंसता चेहरा ही दिखाता है,इसलिए जब मैं ही टूट गई तो आईना भी मुझे टुकड़ों में बंटा हुआ दिखाए.बस यही कहना चाहती थी....

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