About Me

New Delhi, DELHI, India
अपने बारे में क्या कहूँ, एक अनसुलझी पहेली सी हूँ.कभी भीड़ में अकेलापन महसूस करती हूँ! तो कभी तन्हाइयों में भरी महफिल महसूस करती हूँ! कभी रोते रोते हँसती हूँ, तो कभी हंसते हंसते रो पडती हूँ. मैं खुश होती हूँ तो लगता है,सारी दुनिया खुश है,और जब दुखी होती हूँ तो सारी कायनात रोती दिखती है! क्या हूँ मैं, नहीं जानती,बस ऐसी ही हूँ मैं, एक भूलभुलैया.......

Sunday, September 25, 2011

अकेले में

कोई जरूरी नही है
     कि तुम सारे समय मुस्कुराती रहो
ये झूठ तुम्हे कहीं
      अंदर तक ना तोड़ दे,
इसलिए
      जब भी तन्हा हो
फूट फूट कर रो लो,किसी कांधे का इंतज़ार ना करो,
         दिखावा करते करते एक दिन तू मर जायेगी
मैं मानती हूँ
    जिंदगी में जीना जरूरी नहीं है
इस जहां में
जिंदगी में कैसे जी रहे हो
    जिंदगी का दिखावा करना जरूरी है.
दिल चाहे रो रहा हो
पर हंसके दिखाना जरूरी है.
     पर तू दिखावा करते करते मर जायेगी
इसलिए तन्हाइयों में ही रो ले........

2 comments:

  1. Yeh Dikhawa pe hi chalti hai duniya
    Doosro ke nazar mein apne ko tolti hai duniya
    Kabhi khudku apne nazar mein nihaaro
    Jab khudki keemat jaan jaate apni nazar mein
    Khushiya bikher dete hai duniya mein
    Aansooyo ka gum na karon
    Inko apne mein hi samet lo
    Aur jab yeh dhulke moti ban jaye
    To duniya mein ise bikher do.....

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  2. वाह रूपा जी,बहुत खूब.

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