आज की रात
बहुत इंतज़ार के बाद आई है
आज मैं चंद्रमा की
सफ़ेद चादर ओढ़े हूँ
आज की रात मेरी
आँखों में बस आई है
सुबह तो सूर्य की भी
आँखे लाल लाल थीं
वो भी मेरे जाने पर
इतना दुःखदाई था
तारे मेंरे माथे पे मरवट लगाएं हैं
चाँद मेरे माथे पे बिंदिया सा चमक गया
अब तो बस तेरे आग
लगाने की बारी आई है,
राख हो जाउंगी तो शायद
हवा में उडकर ही सही
तेरे सीने से लिपट जाउंगी
तेरे सीने में सर रखने की
कसम खाई है
आज की रात .........
बहुत इंतज़ार के बाद आई है
आज मैं चंद्रमा की
सफ़ेद चादर ओढ़े हूँ
आज की रात मेरी
आँखों में बस आई है
सुबह तो सूर्य की भी
आँखे लाल लाल थीं
वो भी मेरे जाने पर
इतना दुःखदाई था
तारे मेंरे माथे पे मरवट लगाएं हैं
चाँद मेरे माथे पे बिंदिया सा चमक गया
अब तो बस तेरे आग
लगाने की बारी आई है,
राख हो जाउंगी तो शायद
हवा में उडकर ही सही
तेरे सीने से लिपट जाउंगी
तेरे सीने में सर रखने की
कसम खाई है
आज की रात .........
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