About Me

New Delhi, DELHI, India
अपने बारे में क्या कहूँ, एक अनसुलझी पहेली सी हूँ.कभी भीड़ में अकेलापन महसूस करती हूँ! तो कभी तन्हाइयों में भरी महफिल महसूस करती हूँ! कभी रोते रोते हँसती हूँ, तो कभी हंसते हंसते रो पडती हूँ. मैं खुश होती हूँ तो लगता है,सारी दुनिया खुश है,और जब दुखी होती हूँ तो सारी कायनात रोती दिखती है! क्या हूँ मैं, नहीं जानती,बस ऐसी ही हूँ मैं, एक भूलभुलैया.......

Sunday, September 11, 2011

बचपन

कैसा मन है,जो कभी किसी एक बात पर टिकता ही नहीं है.
    पहले बड़े ना करने पर भगवान से लड़ती थी,और अब
अब वो  अल्हड़पन वापिस लाने को
      दिल चाहता है,
चाहती हूँ शाम को जब सूरज छिपने लगे
   तो मैं उसका पीछा करूं,
उस लाल लाल छिपते सूर्य को अपने
     मस्तक पर बिंदिया की तरह सजा लूँ,
मैं जानती हूँ वो मेरे हाथ नहीं आएगा 
    फिर भी दूर तक उसका पीछा करूं,
ताली बजा बजा कर भागूं,
कूद कूद इठलाऊं,चंदा को चिड़ाऊं,
  ये   सब करके जब थक जाऊं ,
तो माँ की गोद में छिप कर
     परियों संग बतियाऊं..
पता नहीं क्यों,पर मन करता है.......

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