About Me

New Delhi, DELHI, India
अपने बारे में क्या कहूँ, एक अनसुलझी पहेली सी हूँ.कभी भीड़ में अकेलापन महसूस करती हूँ! तो कभी तन्हाइयों में भरी महफिल महसूस करती हूँ! कभी रोते रोते हँसती हूँ, तो कभी हंसते हंसते रो पडती हूँ. मैं खुश होती हूँ तो लगता है,सारी दुनिया खुश है,और जब दुखी होती हूँ तो सारी कायनात रोती दिखती है! क्या हूँ मैं, नहीं जानती,बस ऐसी ही हूँ मैं, एक भूलभुलैया.......

Friday, September 2, 2011

डर

हमेशा  एक डर बना रहता है ,कि कोई मुझे तुम से अलग ना कर दे.
क्योंकि  
कभी तुम मुझे रात का ख्वाब लगते हो,जो सुबह आँख खुलते ही मुझसे दूर हो जायेगा,
कभी सूर्य की किरन लगते हो,जो शाम होते ही मुझसे अपनी रौशनी ले जायेगी .
कभी चाँद लगते हो,जो सुबह में अपनी शीतलता ले जायेगा.
       कभी हवा लगते हो जो मुझे अपना स्पर्श कराके विरह की अग्नि में झुलसाएगी,
क्यों मुझे इतने अच्छे लगते हो कि मेरा डर मुझे चैन से -----
         इतना विश्वास,इतना अपनापन शायद किसी से ना पाती .
प्यार,दोस्ती,लाड,विस्वास,अपनापन सब कुछ तुझी में है,
अपने से ज्यादा करीब मैने तुम्हे पाया है,
कहीं तुम बदल ना जाना,
मुझे अकेला छोड़ न जाना,शा 
  जब तक मेरी आँख बंद ना हो,
तुम ऐसे ही रहना .../

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