तुम्हारे साथ रहने के लिए मैंने
मैंने'अपने'स्वत:' को तोड़ दिया
अपने'स्वार्थ' को भगा दिया.
अपने'सुखों' को फेरों की अग्नि में भस्म कर दिया,
'अपनों' को पराया कर दिया
अपनी' आशाओं' से मुंह फेर लिया
'अधिकार'शब्द को पहचानना ही बंद कर दिया
और सबसे बड़ा सच
मैंने'मैं' का साथ छोड़ दिया
तब कहीं जाकर तुमने मुझे अपनाया,
और तोहफे में मुझे दिया
आंसुओं का उपहार
पल पल.........
मैंने'अपने'स्वत:' को तोड़ दिया
अपने'स्वार्थ' को भगा दिया.
अपने'सुखों' को फेरों की अग्नि में भस्म कर दिया,
'अपनों' को पराया कर दिया
अपनी' आशाओं' से मुंह फेर लिया
'अधिकार'शब्द को पहचानना ही बंद कर दिया
और सबसे बड़ा सच
मैंने'मैं' का साथ छोड़ दिया
तब कहीं जाकर तुमने मुझे अपनाया,
और तोहफे में मुझे दिया
आंसुओं का उपहार
पल पल.........
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