About Me

New Delhi, DELHI, India
अपने बारे में क्या कहूँ, एक अनसुलझी पहेली सी हूँ.कभी भीड़ में अकेलापन महसूस करती हूँ! तो कभी तन्हाइयों में भरी महफिल महसूस करती हूँ! कभी रोते रोते हँसती हूँ, तो कभी हंसते हंसते रो पडती हूँ. मैं खुश होती हूँ तो लगता है,सारी दुनिया खुश है,और जब दुखी होती हूँ तो सारी कायनात रोती दिखती है! क्या हूँ मैं, नहीं जानती,बस ऐसी ही हूँ मैं, एक भूलभुलैया.......

Thursday, September 22, 2011

बचपन

माँ तेरी याद आती हैं 
याद आती है सुबह की चाय 
रजाई में दुबकी मैं 
मेरे हाथ में चाय 
और सामने तुम ठण्ड में सिकुड़ी 
अपने ही पल्लू में सिमटी 
याद आती हो माँ  
याद आती है माँ ,दुपहर की रोटी
गरम गरम कुरकुरी घी वाली 
और मन्नते करके खिलाती तुम 
याद आती हो माँ
याद आते हैं शाम के गरम पकोडे 
बैठे बैठे बोलना ---मम्मा अबकी ब्रेड के नहीं गोभी के 
याद आते हैं माँ 
याद आते हैं  वो रात के फुल्के 
अब नहीं बस और तुम्हारा कहना 
बेटा बस एक और खाले 
और रात की कॉफी 
वो हम दोनों की खुसुर फुसुर बातों के साथ 
कॉफ़ी का सिप, याद आता है माँ 
अब कोई नहीं है माँ 
सुबह से लेके रात तक 
कहने वाला 
तू ने कुछ खाया या नहीं ---ना ही है कोई  मनाने वाला ........


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